मिलते ही न ज़ाने कैसे ये शाम हो आती है मिलते ही न ज़ाने कैसे ये शाम हो आती है
मेरा अप्रेषित प्रेमपत्र कभी तो आप देख पाएं। मेरा अप्रेषित प्रेमपत्र कभी तो आप देख पाएं।
इस घर का मौसम पाँच साल से नहीं बदला। इस घर का मौसम पाँच साल से नहीं बदला।
इन नौ मास की जीवन में ना कोई समता है। इन नौ मास की जीवन में ना कोई समता है।
तेरा जिक्र हुआ मेरी आंख भर आई आपकी याद आई! तेरा जिक्र हुआ मेरी आंख भर आई आपकी याद आई!
ओ क्या कुछ कहना है आपको, कुछ कहना है आपको। ओ क्या कुछ कहना है आपको, कुछ कहना है आपको।